Chapter 18 — Moksha Sanyasa Yoga • Verse 18.55
किं पुनर्ब्राह्मणाः पुण्या भक्ता राजर्षयस्तथा ।
अनित्यं दुःखमसुखं लोकमिमं प्राप्य भजस्व माम् ॥
How much more the holy—yet, seeing the world as impermanent and joyless, worship Me.
पुण्यात्माओं को तो और अधिक; तथापि अनित्य‑दुःखमय जग देखकर मुझे भज।
Life Lesson:
Impermanence invites devotion.
अनित्यता भक्ति को बुलाती।