यया तु धर्मकामार्थान् धृत्या धारयते अर्जुन ।
प्रसंगेन फलकामः सा धृतिः राजसी ॥
Rajasic fortitude clings to duty, desire and gain for the sake of fruits.
राजस धृति—फल हेतु धर्म‑काम‑अर्थ पकड़े रहती।
Life Lesson:
Attachment disguised as grit.
आसक्ति को धैर्य मत समझो।