यत्कर्म कर्तव्यमेव इति नैष्कर्म्यं समाचरेत् ।
फलत्यागी सत्त्वसम्हितो स त्यागः सात्त्विको मतः ॥
Doing duty as duty, dropping the fruits—this is sattvic tyaga.
कर्तव्य‑भाव से कर्म, फल‑त्याग—यह सात्त्विक त्याग।
Life Lesson:
Sattva = do well, release outcome.
सत्त्व = करुणाई से करो, फल छोड़ो।