प्रकृत्यैव च कर्माणि क्रियमाणानि सर्वशः ।
यः पश्यति तथाऽऽत्मानमकर्तारं स पश्यति ॥
He who sees that all actions are performed in every way by Prakriti alone and that the Self is actionless—he sees.
जो देखता है कि सभी कर्म प्रकृति से ही होते हैं और आत्मा अकर्ता है—वह वास्तव में देखता है।
Life Lesson:
Let nature move; let Self be free.
प्रकृति को चलने दो—आत्मा को मुक्त रहने दो।