अर्जुन उवाच —
दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तव सौम्यं जनार्दन ।
इदानीमस्मि संवृत्तः सचेताः प्रकृतिं गतः ॥
Arjuna said (again): Seeing Your gentle human form, my mind is restored; I have returned to normal nature.
अर्जुन बोले: आपके सौम्य मानुष रूप से मेरा चित्त संयत हो गया—मैं स्वभाव को लौट आया।
Life Lesson:
After height, land softly.
ऊँचाई के बाद कोमल अवतरण।