लेलिह्यसे ग्रसमानः समन्ताल्लोकान्समग्रान्वदनैर्ज्वलद्भिः ।
तेजोभिरापूर्य जगत्समग्रं भासस्तवोग्राः प्रतपन्ति विष्णो ॥
Licking, You devour all worlds on all sides with flaming mouths; filling the universe with radiance, Your fierce splendors scorch, O Vishnu.
आप दीप्त मुखों से सर्वत्र लोकों को ग्रसते हुए, अपने उग्र तेजों से सम्पूर्ण जगत को तपा रहे हैं, हे विष्णु।
Life Lesson:
Contemplate the consuming aspect of the Divine.
दैवी ‘ग्रास’ स्वरूप का भी ध्यान करो।