अनेकबाहूदरवक्त्रनेत्रं पश्यामि त्वां सर्वतोऽनन्तरूपम् ।
नान्तं न मध्यं न पुनस्तवादिं पश्यामि विश्वेश्वर विश्वरूप ॥
I see You with countless arms, bellies, mouths, eyes—endless on all sides; I see neither end, nor middle, nor beginning, O Lord of the universe.
आपको मैं अनेक भुजा‑उदर‑वक्त्र‑नेत्रों सहित सर्वतो अनन्त रूप में देखता हूँ—न आदि, न मध्य, न अन्त।
Life Lesson:
Beginlessness humbles the ego.
अनादिता अहं को विनीत करती है।