तत्रैकस्थं जगत्कृत्स्नं प्रविभक्तमनैकधा ।
अपश्यद्देवदेवस्य शरीरे पाण्डवस्तदा ॥
There, in the body of the God of gods, the son of Pandu saw the entire universe resting as one, yet divided in many ways.
देवदेव के शरीर में पाण्डु‑पुत्र ने एकस्थ समस्त जगत को अनेक प्रकार से विभक्त देखा।
Life Lesson:
Unity contains diversity without loss.
एकत्व में विविधता बिना हानि समायी रहती है।