सर्वद्वाराणि संयम्य मनो हृदि निरुध्य च ।
मूर्ध्न्याधायात्मनः प्राणमास्थितो योगधारणाम् ॥
Restraining all the gates, fixing the mind in the heart, placing the prana at the head—established in yogic concentration…
सब द्वारों को संयमित कर, मन को हृदय में स्थिर कर, प्राण को मस्तक में स्थित कर—योग धारणा में प्रतिष्ठित होकर…
Life Lesson:
Close the outer gates to open the inner one.
बाह्य द्वार बंद—भीतरी द्वार खुलें।