Chapter 8 — Akshara Brahma Yoga • Verse 8.5
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम् ।
यः प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशयः ॥
He who, at the end time, remembering Me alone, departs leaving the body—he attains My state; there is no doubt.
जो अन्तकाल में मुझे ही स्मरण करके देह छोड़ता है—वह मेरे भाव को प्राप्त होता है; इसमें संशय नहीं।
Life Lesson:
Train remembrance to be spontaneous.
स्मरण का अभ्यास करो—वह सहज हो।