अर्जुन उवाच —
अयतिः श्रद्धयोपेतो योगाच्चलितमानसः ।
अप्राप्य योगसं सिद्धिं कां गतिं कृष्ण गच्छति ॥
Arjuna said: If a man, though faithful, with mind deflected from Yoga, fails to attain perfection—what is his fate, O Krishna?
अर्जुन बोले: श्रद्धावान होते हुए भी यदि मन डोल जाए और योग-सिद्धि न मिले—तो वह किस गति को प्राप्त होता है, हे कृष्ण?
Life Lesson:
Sincere failure—what then?
ईमानदार असफलता—फिर क्या?