Chapter 6 — Dhyana Yoga • Verse 6.16
नात्यश्नतस्तु योगोऽस्ति न चैकान्तमनश्नतः ।
न चाति स्वप्नशीलस्य जाग्रतो नैव चार्जुन ॥
Yoga is not for one who overeats or fasts excessively, nor for one who oversleeps or never rests.
जो बहुत खाता है या बिल्कुल नहीं खाता, बहुत सोता है या बिलकुल नहीं सोता—उसके लिए योग नहीं है।
Life Lesson:
Balance in habits sustains practice.
दिनचर्या में संतुलन साधना का आधार है।