योऽन्तःसुखोऽन्तरारामस्तथान्तर्ज्योतिरेव यः ।—
स योगी ब्रह्मनिर्वाणं ब्रह्मभूतोऽधिगच्छति ॥
He whose joy, repose, and light are within attains Brahman‑nirvāṇa.
जिसका सुख, विश्रान्ति और प्रकाश भीतर है—वह योगी ब्रह्म‑निर्वाण प्राप्त करता है।
Life Lesson:
Inner anchored, outer unshaken.
भीतर टेक लगाओ, बाहर अडिग रहो।